शनिवार, 11 मई 2013

ब्रज बांसुरी" की रचनाएँ ...भाव अरपन-- चार ---पद - सुमन १.-प्रेमगली की राह .... ....डा श्याम गुप्त ...

  ब्रज बांसुरी" की रचनाएँ .......डा श्याम गुप्त ...                         


                     मेरे शीघ्र प्रकाश्य  ब्रजभाषा काव्य संग्रह ..." ब्रज बांसुरी " ...की ब्रजभाषा में रचनाएँ  गीत, ग़ज़ल, पद, दोहे, घनाक्षरी, सवैया, श्याम -सवैया, पंचक सवैया, छप्पय, कुण्डलियाँ, अगीत, नव गीत आदि  मेरे अन्य ब्लॉग .." हिन्दी हिन्दू हिंदुस्तान " ( http://hindihindoohindustaan.blogspot.com ) पर क्रमिक रूप में प्रकाशित की जायंगी ... .... 
        कृति--- ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा में विभिन्न काव्यविधाओं की रचनाओं का संग्रह )
         रचयिता ---डा श्याम गुप्त 
                     ---  श्रीमती सुषमा गुप्ता 

प्रस्तुत है ---भाव अरपन  ...चार ,,पद ..सुमन -१. प्रेम गली की राह ..

चलौ रे मन प्रेम गली की राह ,
प्रीति की पावन गली सुहानी वट सी शीतल छाँह |
प्रेम पसीजे तन मन भीजै, मन में भरै उछाह |
जितनौ गहरे पथिक चलौ रे आनंद मिलै अपार |
प्रभु की प्रीति मिले जेहि मग में सोई साँची राह |
प्रेम की  संकरी गली चले जो तकै न दूजी राह |
श्याम' जो प्रभु की प्रीति बसे मन दूजी रहै न चाह ||

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