ब्रज बांसुरी" की रचनाएँ .......डा श्याम गुप्त ...
कृति--- ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा में विभिन्न काव्यविधाओं की रचनाओं का संग्रह )
रचयिता ---डा श्याम गुप्त
--- श्रीमती सुषमा गुप्ता
प्रस्तुत है ---भाव अरपन ...चार ,पद ..सुमन -५ व १२ ..
हे युग परिवर्तन प्राण |
तुमहिं कान्ह, तुम कृष्न-मुरारी, तुम राधा-घनश्याम |
तुमहिं राम हौ खलु-दल भंजक, लिए धनुस औ बान |
परसु रूप धरि त्रस्त जनन कों, दीन्हों मन्त्र महान |
भ्रस्ट -पतित, सत्ता-विरोध स्वर, नवयुग कौ निर्मान|
तुलसी सूर काव्य बन राखौ, संस्कृति कौ सनमान |
गौतम गांधी बने श्याम' जुग परिवर्तन दिनमान ||
सखी री! चलिहैं मथुरा धाम |
रास की लीला गूंजे नित नित, वृन्दावन के धाम |
वन वन ढूंढ़ें श्याम कौं सखि री, वा गोकुल के धाम |
राधाजी पग धूरि परी जहँ, बरसाने सुखधाम |
झूमि झूमि चलि नचिहैं गैहैं, धूलि उडै अभिराम |
श्याम' कृपा होय राधारानी, दरसन दें घनश्याम ||
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